यकीं नहीं होता देख तुझे
तुम धारा की हूर हो या
आसमां से उतरी हुई
षोडशी कोई।
बयां करूँ कैसे लफ़्ज़ों में
ये सौंदर्य तुम्हारा
करीने से तराशी गयी
किसी शिल्पकार की कोई
रूपसी कोई।
tum dhara ki hur ho ya
aasma se utri hui
shodshi koi.
Bayan karun kaise lafjon me
ye saundrya tumhara
karine se tarashi gai
kisi shilpkar ki ho
rupsi koi.
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