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ये कैसी विपदा है
कैसी ये बीमारी है
कल तेरी बारी थी तो
कल मेरी बारी है।
कहीं हाहाकार है तो
कहीं है चित्कार
चौखट-चौखट मौत का
दस्तक देना जारी है
कल तेरी बारी थी तो
कल मेरी बारी है।
मुस्कान कर रही आज क्रंदन
किलकारियाँ हो चली मौन
आँधियां चल पड़ी ऐसी
उजड़ती जा रही क्यारी है
कल तेरी बारी थी तो
कल मेरी बारी है।
अपने भी हो जाते पराये
अछूत से लगने लगते साये
शंकाकुल हो उठती जिंदगी
गजब ये मर्ज न्यारी है
कल तेरी बारी थी तो
कल मेरी बारी है।
न कोई औषध
न ही समुचित रुग्णालय
लाशें दर लाशें बिछती रहती
कैसी ये तैयारी है
कल तेरी बारी थी तो
कल मेरी बारी है।
--- अजीत कुमार (16.05.21)
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