6 Jun 2015

कश..... Kash.....

यदि  मैं  डाक्टर होता
तो निश्चित ही
एक  चेन स्मोकर होता
हर संभव किसी की
जिंदगी  बचाता।
इस  खुशी  में सरीक हो
धुएं के छल्ले  उड़ाता
सलीके से वलय  बनाता
गोल-गोल
हवा में बिखरता
विलीन होता देख इसे
मंद-मंद मुस्काता।
यदि मैं डाक्टर होता.....।
 
न बचा पाता तो फिर
गम के आगोश में बैठ
लम्बा गहरा कश लेता
घुटन को अंदर ही अंदर घोंटकर
संपूर्ण जिस्म को मैं
धुआं से भर जाता।
यदि मैं डाक्टर होता.....।
कल की याद सताती
तो कश लेता
आज की बात न बनती
तो कश लेता
कल की चिंता होती
तो कश लेता
हर फिक्र को धुएं में उड़ाता
सारा जहां मैं
धुंआ-धुंआ कर जाता।
यदि मैं डाक्टर होताहोता.....।
कश के साथ जिंदगी संवारता
कश के साथ जिंदगी बिगाड़ता
अंतिम सांसे होती
अंतिम कश होता
अंगुलियों में फंसी होती मौत
जो अंतिम कश के साथ जुदा होता।
यदि मैं डाक्टर होता.....।
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