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ना पड़ कभी भी मंद तु
वक़्त का बन पाबंद तु।
खुद को ना समझ
वक़्त का बंदी
नहीं है ये तेरी
आजादी पे पाबंदी
विचारों को बदल दे चंद तु
वक़्त का बन पाबंद तु।
वक़्त से पहले तु
कर ले वक़्त का ज्ञान
कर्म की धारा में बह
वक़्त देगा तुझे पहचान
चाह को कर बुलंद तु
वक़्त का बन पाबंद तु।
व्यर्थ में वक़्त ना खर्च तु
लौट फिर न आएगा
ठहरा अगर वक़्त तुम्हारा
जीवन ठहर जाएगा
हर पल का उठा आनंद तु
वक़्त का बन पाबंद तु।
-----अजीत कुमार
I.VIII.MMXXII

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